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Monday, August 9, 2010

फिर तुम याद आई

बड़े दिनों बाद तुमसे मुलाक़ात हुई,
हाँ ख्यालों में ही सही
तुमसे मुलाक़ात हुई।

फिर आँखें कुच्छ नम होने लगी
कुच्छ यादें ताज़ा हुयी
फिर हवा भी तेरी खुशबु से महकने लगी।

मेरे काश, मेरे शायाद
मुझे तेरे संग जोड़ते रहते हैं
मैं लाख भुलाना चाहूँ तुझे
तेरी मेरी राह फिर भी मिल ही जाते हैं।

सोचूँ के बरसों बाद जब मिलेंगे हम तुम
तो कैसे मिलेंगे हम तुम
कुच्छ बीती यादें,
कुच्छ भीगी पलकें...

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